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इसमें पता चला है कि इलाहाबाद बैंक (अब इंडियन बैंक) में तत्कालीन बैंक मैनेजर को फर्जी संस्थानों की निदेशकों ने करीब डेढ़ लाख रुपये की घूस चेक के माध्यम से भी दी थी। बैंक मैनेजर हमीरपुर, सोलन, पंचकुला और चंडीगढ़ में जहां भी रहा, छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम देने के लिए संस्थान के निदेशकों की मदद की और सैकड़ों फर्जी खाते खोलकर उनसे करोड़ों की रकम कंपनी के एएसए मार्केटिंग सॉल्यूशन के नाम पर चले बैंक खाते में ट्रांसफर करवाई।
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मामले में नाइलेट के नाम पर चल रहे फर्जी संस्थानों के निदेशकों ने बैंक के अफसरों के साथ मिलकर 29.80 करोड़ की रकम हड़पी। यह घोटाला वर्ष 2013-14 से वर्ष 2016-17 के बीच किया गया। हैरानी की बात है कि जिन संस्थानों को कोर्स करवाने की पात्रता तक नहीं थी, शिक्षा विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की मिलीभगत से ऐसे संस्थानों ने हजारों बच्चों की छात्रवृत्ति हड़प ली।
एससी वर्ग के छात्रों को एसटी का बनाकर हड़पी रकम
अदालत में चार्जशीट दाखिल करते हुए सीबीआई ने फर्जी संस्थान चलाने वाले निदेशकों समेत 11 लोगों को आरोपी बनाया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने जब इस मामले में संबंधित विद्यार्थियों के बयान दर्ज किए तो पता चला कि सैकड़ों ऐसे छात्रों के नाम पर अनुसूचित जनजाति (एसटी) के बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति हड़प ली, जो अनुसूचित जाति (एससी) से संबंध रखते थे। जांच एजेंसी ने दर्जनों छात्रों के बयान दर्ज कर इसकी पुष्टि की है।
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