ग्रामीणों ने खुद टैंक की सफाई कर जंगली जानवरों के कंकाल और गाद निकली। अब इतना सब मिलने के बाद जल जनित रोगों के फैलने की आशंका बन गई है। इस पूरे मामले में हद तो इस बात की है कि विभाग पेयजल स्टोरेज टैंक पर छत तक नहीं लगा पाया है।
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यहां पर खुले टैंक में ही पानी स्टोर किया जा रहा है। वहीं, ग्रामीण लंबे समय से इसी टैंक का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
टैंक पर लेंटर न होने से इसमें जीव-जंतु और कचरा समा रहा है। विभाग लोगों को मटमैला और गंदगी भरा पेयजल आपूर्ति मुहैया करवा रहा है। इस टैंक से सोईधार, शिलाबाग, गौंडाधार, दनारा और वोआ आदि गांवों के लिए पेयजल सप्लाई होती है।
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ग्रामीणों ने बताया कि जब लोगों ने टैंक की सफाई की तो उसमें से जीव से लेकर अधिक मात्रा में गंदगी निकली। उन्हें लंबे समय से फिटर भी उपलब्ध नहीं है। इस कारण स्वयं पानी की आपूर्ति सुचारु रूप से चलानी पड़ती है। सोईधार गांव के लिए पानी की मेन सप्लाई को भी जगह-जगह से पंचर किया गया है।
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उधर, जलशक्ति विभाग आनी के एक्सईएन राजकुमार कौंडल ने कहा कि एसडीओ और जेई को निर्देश दिए गए हैं कि टैंकों की समय-समय पर सफाई की जाए। जहां तक सोईधार के टैंक की बात है। इस विषय में एसडीओ और जेई दलाश सबडिवीजन से रिपोर्ट तलब की जाएगी।
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