हिमाचल में जानलेवा कोरोना: कहीं पिता-पुत्र की मौत, कहीं अकेला कमाने वाला चल बसा, पढ़ें स्टोरी

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हिमाचल में जानलेवा कोरोना: कहीं पिता-पुत्र की मौत, कहीं अकेला कमाने वाला चल बसा, पढ़ें स्टोरी

शिमला। हिमाचल प्रदेश में जारी कोरोना वायरस के कहर के बीच कई सारे लोगों ने अपनों को ख़ाया है। इस जानलेवा महामारी ने जहां कई बच्चों के सिर से मां-बाप का साया छीन लिया है। इसी कड़ी में आज हम आपको कुछ ऐसे ही परिवार की कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने इस महामरी के दंश को झेला है और काफी ही दयनीय और निरीह स्थित में पहुंच गए हैं। 

दो मासूमों के सिर से उठा पिता का साया 


शिवपुर पंचायत में कोरोना से दो मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है। इन बच्चों ने 12 दिन के भीतर ही पिता के साथ दादा को भी खो दिया। पांवटा की शिवपुर पंचायत निवासी देवेंद्र सिंह (33) ठेकेदारी से परिवार पाल रहे थे। 

उनके छोटे भाई कमलजीत सिंह ने बताया कि एक दिन बड़े भाई की तबीयत खराब हुई। सूरजपुर अस्पताल में स्वास्थ्य जांच और दवा लेकर अपना काम करने लगे। एक दिन तबीयत ज्यादा बिगड़ी और सांस में तकलीफ के चलते टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

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छह मई को नाहन के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। 11 मई को देवेंद्र सिंह की मौत की खबर आई। देवेंद्र अपने पीछे पत्नी और दो बच्चे गगनरूप कौर (8) व अगमजौत सिंह (4) छोड़ गए हैं। 

उनकी  पत्नी गहरे सदमे में हैं। इसके बाद देवेंद्र के पिता रघुवीर सिंह (61) का भी अचानक स्वास्थ्य बिगड़ा। उन्हें भी सांस लेने में दिक्कत थी। जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आई। रघुवीर पांवटा की एक स्थानीय औद्योगिक इकाई में 32 वर्ष सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त हुए थे।

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वह समाजसेवा में हमेशा आगे रहते थे। उन्हें 7 मई को परिजनों ने अस्पताल में भर्ती करवाया था। शिवपुर पंचायत व पांवटा में परिजनों ने उनकी सलामती को पाठ, अरदास व अखंड पाठ करवाए, लेकिन 23 मई को वह भी जिंदगी की जंग हार गए। 

शिवपुर पंचायत प्रधान सुरेंद्र सिंह व पूर्व प्रधान मंजीत सिंह ने कहा कि अब बुजुर्ग मां, भाभी, दिवंगत भाई के दो मासूम बच्चों और अपनी पत्नी के साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारी रघुवीर सिंह के छोटे बेटे कमलजीत सिंह (31) के कंधों पर आ गई है।

अकेले कमाने वाले की मौत 


कोरोना ने चार साल की तपस्या से पिता का साया छीन लिया है। पिता सन कुमार सैहब सोसायटी में काम करते थे। वह परिवार में अकेले कमाने वाले थे। परिवार छोटा शिमला में रहता है। अभी सन कुमार को नौकरी लगे दो साल ही हुए थे कि अचानक कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए। उन्होंने आईजीएमसी अस्पताल में दम तोड़ा।

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सन कुमार की पत्नी सुरभि पर अब परिवार चलाने के साथ बेटी तपस्या की पढ़ाई करवाने का जिम्मा भी है। शिमला जैसे महंगे शहर में गुजारा करना मुश्किल है। सुरभि को भी परिवार की चिंता सता रही है। हालांकि, स्थानीय पार्षद किमी सूद के प्रयासों से सुरभि को सैहब सोसायटी में नौकरी मिल सकती है। इसके लिए नगर निगम में भी बात हो गई है।

पिता का साया छिना, मां भी नहीं रहती साथ


कोरोना महामारी ने बैजनाथ पपरोला नगर पंचायत के वार्ड नंबर दो के दो बच्चों के सिर से पिता का साया छीन लिया है। मां का सात वर्ष पूर्व तलाक हो चुका है। 35 वर्षीय शेखर की मौत के बाद दोनों बच्चों को अब भविष्य की चिंता सताने लगी है। फिलहाल दोनों की देखभाल उनके चाचा-चाची कर रहे हैं। शेखर की 10 मई को मौत हो गई थी।

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गत वर्ष प्रशासन की ओर से शुरू किए गए कोविड सेंटर के मरीजों को शुरुआती समय में शेखर ही भोजन उपलब्ध करवाते थे। उनके दोनों बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं। शेखर बच्चों के लिए दुकानें व घर के रूप में संपत्ति छोड़ गए हैं। फिलहाल परवरिश दुकान के किराये से हो रही है, लेकिन आने वाले समय में पढ़ाई व अन्य आवश्यकताओं के लिए यह राशि कम पड़ जाएगी।  

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