हिमाचल: अब तय संख्या में दफ्तर आएंगे कर्मचारी, जारी हुआ विभागीय रोस्टर, हाजरी का तरीका बदला

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हिमाचल: अब तय संख्या में दफ्तर आएंगे कर्मचारी, जारी हुआ विभागीय रोस्टर, हाजरी का तरीका बदला

शिमला। हिमाचल प्रदेश में जारी कोरोना वायरस के कहर के बीक प्रदेश सरकार ने 7 जून तक के लिए कर्फ्यू लगा रखा है। इस सब के बीच बीते कल से सरकार ने इस कर्फ्यू में कुछ रियायतें दे रखी हैं, जिसके तहत सूबे के 90 हजार कर्मचारी अपने दफ्तर पहुंचने लगे हैं। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश के राज्य आपदा प्रबंधन सेल के आदेश के बाद विभिन्न विभागों और कार्यालयों के प्रमुखों ने 30 फीसदी कर्मचारियों के आने को लेकर रोस्टर जारी कर दिए हैं। 

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सोमवार को आपसी तालमेल कर कई कर्मचारी कार्यालय नहीं पहुंचे, लेकिन अब रोस्टर बनने के बाद मंगलवार से कार्यालयों में कामकाज सामान्य हो जाएगा। चूंकि, लंबे समय से सभी सरकारी दफ्तर बंद चल रहे थे। ऐसे में इस बात के लिए खास ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं कि कार्यालय आने वाले लोगों के बीच उचित दूरी के नियम का पालन होता रहे। 

मशीन से चेहरे की पहचान कर लगेगी अब अफसरों और कर्मियों की हाजिरी

हिमाचल सचिवालय में मंगलवार से अफसरों और कर्मचारियों की मशीन से चेहरे की पहचान कर हाजिरी लगेगी। करीब दो हजार अधिकारी और कर्मचारी अभी तक बायोमीट्रिक से उपस्थिति लगाते रहे हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। यह इसलिए है कि अधिकारी और कर्मचारी बायोमीट्रिक के संपर्क में न आएं। राज्य सचिवालय प्रशासन विभाग के सचिव ने सोमवार को इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है।

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इस अधिसूचना के अनुसार 1 से 15 जून तक चेहरे की पहचान कर हाजिरी ट्रायल आधार पर लगेगी। यह व्यवस्था सफल रहती है तो सचिवालय के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की हाजिरी चेहरे की पहचान कर ही लगेगी। इसमें स्पष्ट कर दिया है कि इसके बाद से अब रजिस्टर पर हाजिरी मान्य नहीं होगी। 

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राज्य सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा कि सरकार से लंबे समय से मांग की जा रही थी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए चेहरे की पहचान कर हाजिरी लगाने की व्यवस्था की जाए। सरकार ने संघ की इस मांग पर गौर करते हुए यह कदम उठाया है।

बसें न चलने से बढ़ी कर्मचारियों की मुश्किलें

सरकारी विभागों में सोमवार को कर्मचारियों की उपस्थिति काफी कम रही। सरकार ने बड़े विभागों में तीस फीसदी कर्मचारियों को दफ्तर में बुला लिया था लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पहिए थमने से कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ी हैं।

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विभागों में वही कर्मचारी उपस्थिति दर्ज करा सके, जिनके पास दफ्तर आने के साधन मौजूद थे। जो कर्मचारी सरकारी या निजी बसों में हर रोज अपने घरों से दफ्तरों तक पहुंचते रहे हैं, उनको बस सुविधा न मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ा। 

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