शिमला: आइजीएमसी शिमला के डॉक्टरों ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है. शुक्रवार को अस्पताल के हृदय रोग विभाग के डॉक्टरों बिना चीरफाड़ 12 वर्षीय बच्चे के दिल का छेद बंद कर दिया।
काफी जोखिम भरा था ये ऑपरेशन:
बता दें कि इस ऑपरेशन को हिमाचल के पहले व एकमात्र पीडियाट्रिक कार्डियोलाजिस्ट डा. दिनेश बिष्ट और डा. राजेश शर्मा कर रहे थे. परक्यूटेनियस डिवाइस क्लोजर चिकित्सा पद्धति से यह ऑपरेशन किया गया।
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डा. दिनेश बिष्ट का कहना है कि तार के माध्यम से टांग के जरिये छेद बंद करने वाली डिवाइस को मरीज के शरीर में फिट किया गया। इसमें काफी जोखिम था, क्योंकि डिवाइस के इधर-उधर खिसकने और बीच में तार के कारण किसी नस के कटने से हार्ट ब्लाक होने की आशंका बनी रहती है। कार्यकुशलता की कमी के कारण मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है।
बच्चे की स्थिति में सुधार:
उन्होंने कहा कि मरीज की हालत अब स्थिर है और उसे अब छुट्टी दे दी जाएगी। डा. दिनेश नाहन मेडिकल कालेज से प्रतिनियुक्ति पर छह माह की सेवा देने आइजीएमसी आए हैं। इनकी सेवाओं से आइजीएमसी व कमला नेहरू अस्पताल में नवजात शिशुओं की देखभाल में काफी फायदा हो रहा है। रोजाना दो बजे के बाद वह कमला नेहरू अस्पताल शिमला में नवजात बच्चों की जांच करते हैं।
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इससे बच्चों में हृदय रोग की रोकथाम में काफी सहायता मिल रही है। आइजीएमसी में प्रशिक्षु डा. मीना राणा का कहना है कि डा. दिनेश के निर्देशन में उन्हें काफी कुछ सीखने को मिल रहा है। इस तरह की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को इससे पहले इलाज के लिए दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता था।
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