कांगड़ाः हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा गरीब लोगों की मदद करने व उनकी आर्थिक स्थिती सुधारने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। परंतु आज भी प्रदेश में बहुत से लोग ऐसे हैं जो इन योजनाओं से वंचित हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक परिवार के बारे में बताने वाले हैं।
हम बात कर रहे हैं कागंड़ा जिले के तहत आती फतेहपुर तहसील की पंचायत झुम्व खास के गांव परौल की। जहां एक 45 वर्षीय रमन कुमार को उनके परिवार द्वारा जंरीरों में बांध कर रखा गया है। वे पिछले 20 सालों से इतनी दयनीय जिंदगी बयतीत करने के लिए मजबूर हैं।
2002 में हुए थे बीमार
एक दौर ऐसा भी था जब रमन कुमार व्यापार करके अपने परिवार का भरण पोषण करता था। वे लुधियाना स्थित एक प्राईवेट कंपनी में काम करते था। परंतु बर्ष 2002 में बीमार होने के चलते उसकी स्थिति दिन-प्रतिदिन तबीयत बिगड़ती चली गई।
आज भी लोहे की जंजीरों में जकड़े हैं रमन
इस दौरान उन्हें बहुत से अस्पतालों में भी दिखाया गया। परंतु दवाईयों का कोर्स करने के उपरांत भी उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। वहीं, अब उनका उपचार पठानकोट के एक निजी अस्पताल से चल रहा है। मानसिक स्थिति से बीमार रमन कुमार के घर में एक ही कमरा है जिसमें उसे लोहे की जंजीरों में जकड़ कर रखा गया है। उससे कमरे में ही बाथरूम व शौचालय करवाया जाता है।
मेहनत मजदूरी कर पत्नी चला रही घर
रमन कुमार के परिवार में पत्नी व दो बच्चे हैं। जब से रमन बीमार हुआ है तब से पत्नी ही मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार को पाल रही हैं। रमन की पत्नी अंजू बाला का कहना है कि अब उनके पति का इलाज पठानकोट के एक निजी अस्पताल से चल रहा है।
पत्नी बोलीं-किसी ने नहीं की आर्थिक सहायता
उन्होंने बताया कि रमन की हर महीने 5000 रुपए की दवाई लानी पड़ती है और पिछले 20 वर्षों से उसके इलाज पर लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं। इस दौरान ना तो उन्हें पंचायत से कोई सहायता मिली ना ही कोई संस्था उनकी आर्थिक सहायता के लिए आगे आई। अंजू कहती हैं कि सरकार की तरफ से भी उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है।
जानें क्या बोले पंचायत प्रधान
इस संबंध में स्थानीय पंचायत प्रधान गुरनेश कुमार ने बताया कि पीड़ित रमन कुमार का मेडिकल सर्टीफिकेट बनवा कर उसे पेंशन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा मकान निर्माण में इनका नाम फतेहपुर ब्लॉक में भेज दिया गया है।
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