हिमाचल: नौकरी छोड़ 5 साल से ले रही थी वेतन, अब बोली- मुझे लगा मोदी भेज रहे थे

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हिमाचल: नौकरी छोड़ 5 साल से ले रही थी वेतन, अब बोली- मुझे लगा मोदी भेज रहे थे


हमीरपुरः
हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में लापरवाही के चलते मीड-डे मील से जुड़ा हुआ एक बड़ा वित्तीय फ्रॉड सामने आया है। मामला प्रदेश के हमीरपुर जिले के तहत आते भोरंज उपमंडल के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बगवाड़ा का है। जहां एक मीड-डे मील वर्कर को बीते पांच सालों से बिना किसी काम के ही विभाग की ओर से मासिक वेतन प्रदान किया जा रहा था। 

2017 में छोड़ दी थी नौकरी

यह मामला तब उजागर हुआ मिड-डे मील वर्कर के खाते में मैन्युअल पैसे जमा करवाने के निर्देश जारी हुए तो इस पर स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया कि इस नाम की कोई महिला यहां काम नहीं करती है और जो करती थी वो 2017 में नौकरी छोड़ चुकी है। बताया जा रहा है कि उक्त वर्कर अब तक 1 लाख रुपए तक का फर्जी वेतन उठा चुकी है। 

पीएम किसान सम्मान निधि समझ कर खर्च कर दिए पैसे

वहीं, जब स्कूल स्तर पर संबंधित मिड-डे मील वर्कर से संपर्क साधा गया तो पता चला कि उक्त महिला को पिछले पांच साल से मासिक वेतन मिलता रहा है। ऐसे में विभागीय कार्रवाई से खुद को बचाने के लिए खंड शिक्षा अधिकारी और संबंधित स्कूल के प्राधानचार्य ने मिड-जे मील वर्कर से पिछले पांच साल की राशि लौटाने की बात कही। 

किसान सम्मान निधि समझ कर खर्च किए पैसे

इस पर महिला ने जवाब दिया कि वह सारी धन राशि खर्च कर चुकी है। महिला का कहना है कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि समझ कर उसने यह पैसे खर्च किए हैं। बता दें कि मीड-डे मिल के वर्कर्स को प्रतिमाह 2500 रुपए वेतन मिलता है। जो शिक्षा विभाग की ओर से सीधा वर्कर्स के खातों में डाला जाता है।  

जानें क्या बोले खंड शिक्षा अधिकारी

इस संबंध में जानकारी देते हुए खंड शिक्षा अधिकारी सुखदेव सिंह ने बताया कि स्कूल के प्रधानाचार्य ने विभाग को महिला के नौकरी छोड़ने की बात की जानकारी नहीं दी। इसी के चलते शिमला से संबंधित मिड-डे मील वर्कर के खाते में मासिक वेतन राशि जमा होता रहा। 

शिक्षा विभाग उपनिदेशक ने कहा

उधर, इस संबंध में प्रारंभिक शिक्षा विभाग हमीरपुर उपनिदेशक संजय ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि मिड-डे मील वर्कर को नौकरी छोड़ने बाद भी पांच साल तक मानदेय मिलने का मामला ध्यान में आया है। इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी और संबंधित स्कूल के प्रिंसिपल से जवाब मांगा गया है।

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