आउटसोर्स कर्मियों का इंतज़ार हुआ लंबा: महीने भर के लिए लटक गया नीति बनाने का मुद्दा

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आउटसोर्स कर्मियों का इंतज़ार हुआ लंबा: महीने भर के लिए लटक गया नीति बनाने का मुद्दा


शिमला।
हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग विभागों में तैनात आउटसोर्स कर्मचारियों की उम्मीद को एक तगड़ा झटका लग गया है। साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले स्थायी नीति बनने की आस लिए बैठे हजारों कर्मचारियों को एक अतिरिक्त महीने के लिए लटका दिया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार यह सब अधिकारियों की गलती की वजह से हुआ है, जिन्होंने कैबिनेट सब कमिटी को डाइंग कैडर की गलत रिपोर्ट थमा दी है। अब अधिकारियों द्वारा की गई इस गलती की वजह से एक बार फिर नीति बनने का मामला महीने भर के लिए लटक गया और बात आगे नहीं बढ़ पाई।

अब बताया जा रहा है कि विभागों में घोषित डाइंग कैडर को लेकर पुख्ता रिपोर्ट आने और नीति बनाने में और अधिक समय जाया होगा। बताया जा रहा है कि कई विभाग के अध्यक्षों ने तो अभी तक किसी भी तरह की जानकारी कमेटी को नहीं सौंपी है।

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में 35 हजार के करीब आउटसोर्स कर्मचारी विभिन्न विभागों, बोर्डों व निगमों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं, अलग-अलग एजेंसियों के माध्यम से भर्ती हुए इन कर्मचारियों सरकार की तरफ से वेतन दिया जाता है। वहीं, इनके वेतन की विसंगतियों को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मंत्रिमंडलीय उप समिति भी बनाई गई है।

इस कमेटी द्वारा नीति बनाने से पहले आउटसोर्स कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से लिखित में 10 अप्रैल तक सुझाव मांगे गए थे। इसके बाद हुई कमेटी की बैठक में आउटसोर्स के विभिन्न विभागों में घोषित डाइंग कैडर के पदों पर समायोजित करने का भी निर्णय लिया जा चुका है। वहीं, अब अधिकारियों की चूक की वजह से नीति बनाने का मसला लंबा खिंचने की खबर सामने आई है।

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