हिमाचल में करोड़ों का गड़बड़झाला: 6 तहसीलों में हुई पौने तीन करोड़ की हेराफेरी, नपेंगे अधिकारी!

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हिमाचल में करोड़ों का गड़बड़झाला: 6 तहसीलों में हुई पौने तीन करोड़ की हेराफेरी, नपेंगे अधिकारी!


ऊना/मंडी।
हिमाचल प्रदेश के दो जिलों की 6 तहसीलों से जमीन रजिस्ट्रियों में करीब पौने तीन करोड़ रूपए का गड़बड़झाला होने की खबर सामने आई है।

इस हेराफेरी की वजह से राजस्व विभाग को करोड़ों रूपए का घाटा हुआ है। जमीनों की रजिस्ट्रियों की जांच के दौरान यह हेराफेरी पकड़ में आई है।

बतौर रिपोर्ट्स, ऊना जिले की दो और मंडी जिले की 4 तहसीलों से यह हेराफेरी रिपोर्ट की गई है।

इसमें से ऊना जिले की सदर और मैहतपुर तहसील में जमीन खरीद-फरोख्त के लिए हुईं 15 रजिस्ट्रियों में 1.74 करोड़ रूपए और मंडी में जमीनों की रजिस्ट्री के नाम पर एक करोड़ रूपए की गड़बड़ी पकड़ी गई है।

इस तरह हुई हेराफेरी

इस गड़बड़ियों की जांच के दौरान पाया गया कि खरीद-फरोख्त के दौरान राजस्व विभाग को रजिस्ट्री फीस कम देने के चक्कर में जमीनों की गलत जानकारियां दी गईं। अब विभाग खरीदारों को नोटिस देकर उनसे रिकवरी करने की तैयारी में है।

इसके अलावा शिकायत के आधार पर जांचे गए रजिस्ट्री के पुराने मामलों में भी बड़े स्तर पर हेराफेरी सामने आई है।

बतौर रिपोर्ट्स, रजिस्ट्री के समय जमीन का नक्शा न देना, सड़क से उचित दूरी न बताना, एनएच की जगह दूसरी सड़क दर्शाना, गलत सर्किल रेट बताने जैसी खामियां जांच के दौरान पाई गई हैं।

इन खामियों से यह उजागर होता है कि खरीदारों ने रजिस्ट्री फीस कम करने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाए हैं और विभाग ने भी इन्हें पास कर दिया।

हिदायत के साथ मांगा गया जवाब

इन मामलों के बाद रजिस्ट्री क्लर्क और तहसीलदारों को सख्त हिदायत जारी कर दी है। इसके साथ ही उनसे कहा गया है कि घर के फोटो, सही सर्किल रेट, सड़क से दूरी व सड़क प्रमाण पत्र, नक्शे के साथ सभी दस्तावेजों की सही जांच करने के बाद ही जमीन की रजिस्ट्रियां की जाएं।

मिली जानकारी के अनुसार प्रशासन ने पूरे मामले की रिपोर्ट राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह व प्रधान सचिव (राजस्व) को भेज दी है।

संबंधित तहसीलदारों, डीड राइटर्स और पटवारियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है, जिसमें सात दिन के भीतर जवाब मांगा है। उचित जवाब न मिलने पर लापरवाह अधिकारियों से रिकवरी होगी और निलंबन की गाज भी गिर सकती है।

प्रशासन खुल कर नहीं बता रहा अंदर की बात

वहीं, यह गड़बड़ियां किस तरह की हैं, कार्रवाई से पहले पूरी रिपोर्ट के खुलासे को लेकर प्रशासन बताने को तैयार नहीं।

बताया जा रहा है कि इन मामलों में अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी राजस्व को चूना लगा है। इन मामलों में जमीन की कीमत कम बताकर और स्टांप कम लगाकर हेरफेरी को अंजाम दिया गया है।

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