कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश में सरकार द्वारा गरीबों और जरूरतमंदों के उत्थान के लिए ढेरों योजनाएं चलाई गई हैं, लेकिन कई मामलों में सही लोगों तक उनका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है। इसी कड़ी में ताजा मामला सूबे के कांगड़ा जिले के तहत पड़ते जयसिंहपुर विधानसभा से रिपोर्ट किया गया है।
यहां स्थित बीजापुर गांव में रहने वाले ब्रह्म कुमार नामक एक शख्स पिछले सात सालों से चारपाई पर पड़े हुए हैं, पैरालाइसिस का शिकार होने के साथ ही उनकी याददाश्त भी जा चुकी है। अब वे ना तो सुन सकते हैं और ना ही बोल सकते हैं। इस स्थिति में होने के बावजूद उन्हें दिव्यांग पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
2015 में हुई बीमारी ने सब बर्बाद कर दिया
बतौर रिपोर्ट्स, उनकी पत्नी उन्हें दिव्यांग पेंशन दिलाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर थक चुकी हैं, लेकिन इसका भी कुछ फायदा नहीं हुआ है। बताया गया कि ब्रह्म कुमार दर्जी का काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन साल 2015 उन्हें ऐसी बीमारी ने जकड़ा कि अब उनका ये हाल हो रखा है।
बीमारी की शुरुआत में उनका इलाज पीजीआई चंडीगढ़ में करवाया लेकिन अब कोविड के कारण वे आगामी उपचार कांगड़ा जिले में ही पड़ते टांडा मेडिकल कॉलेज में करवा रहे हैं। यहां उनका आयुष्मान कार्ड तो बनवाया गया है, लेकिन उसका लाभ उन्हें अस्पताल में भर्ती होने पर ही मिल पाएगा।
बेटी कर रही दर्जी का काम, बेटा मजदूरी
घर पर रहने की वजह से अब उनकी दवाओं की खरीद प्राइवेट मेडिकल स्टोर से ही करनी पड़ रही है। ब्रह्म कुमार की पत्नी चंचला बताती है कि मौजूदा वक्त में घर का खर्चा बड़ी बेटी दर्जी का काम कर चला रही है, जबकि बेटा वर्कशॉप मजदूरी करने पर मजबूर है। पहले घर की हालत सही थी तब किसी से मदद नहीं मांगी लेकिन अब हाथ खड़े हो गए हैं।
विधायक तक से मिलीं, लेकिन कुछ ना हुआ
उन्होंने बताया काफी दिनों से दिव्यांग सर्टीफिकेट को लेकर चक्कर लगा रही है, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया है। उन्होंने आगे बताया कि पति का मानसिक रूप से अस्वस्थ का प्रमाण पत्र तो बना है, लेकिन उसका फायदा नहीं मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों से दिव्यांग पेंशन के लिए विधायक रविंद्र रवि धीमान से लेकर अधिकारियों तक मिल चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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