हिमाचल: जिस वर्ष शहीद हुए कैप्टन अमोल कालिया उसी वर्ष जन्मा लड़का बना लेफ्टिनेंट

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हिमाचल: जिस वर्ष शहीद हुए कैप्टन अमोल कालिया उसी वर्ष जन्मा लड़का बना लेफ्टिनेंट


बिलासपुरः
कैप्टन अमोल कालिया से प्रेरणा लेकर एक पिता ने अपने बेटे के पैदा होने के बाद से ही उसे सेना मे भेजने का सपना देखा। आज जाकर उस पिता की यह इच्छा पूरी हुई है। हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले स्थित मां नैना देवी मंदिर के पुजारी उमेश गौतम की, जिनका बेटा अमोल गौतम भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट चयनित हुआ है।

असम में हुई पोस्टिंग

साल 1999 में बेटे के पैदा होने पर पिता ने यह ठान लिया की वह अपने बेटे को एक सैन्य अधिकारी ही बनाएंगे। इसी के चलते उन्होंने अपने बेटे का नाम कैप्टन अमोल के नाम पर ही अमोल गौतम रखा था। वहीं, अब पिता के सपने को पूरा करते हुए अमोल गौतम हाल ही में देहरादून स्थित सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड के जेंटलमैन कैडेट बनने के बाद सेना में लेफ्टिनेंट चयनित हुए हैं। उनकी पहली पोस्टिंग असम में हुई है।

परिवार जन हैं बेहद खुश

परिवार का इकलौता बेटा होने पर उसे सेना में भेजने का निर्णय आसान नहीं थी। परंतु पिता के साहसिक फैसले पर अमोल की माता ने भी हामी भरी। वहीं, अब बेटे के सैन्य अधिकारी बने देख पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। अमोल के दादा-दादी की आंखें खुशी से भर आईं।

लेफ्टिनेंट अमोल बोलेः कठिन है पर असंभ व नहीं

इस संबंध में जानकारी देते हुए लेफ्टिनेंट गौतम कहते हैं कि सैन्य अधिकारी बनना थोड़ा कठिन तो है पर असंभव नहीं है। वे कहते हैं कि उन्हें शुरु से ही परिवार का सहयोग मिलता रहा है। विशेष रुप से माता-पिता का। दसवीं की पढ़ाई करने के बाद परिजनों ने अमोल को मोहाली भेज दिया था। 

वहीं, पंजाब सरकार की महाराजा रणजीत सिंह अकादमी में दो साल अधिकारी बनने का प्रशिक्षण लिया। बता दें कि यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली एनडीए परिक्षा को पास कर अमोल ने पूरे देश भर में 12 वीं रैंक हासिल की थी।

कौन हैं कैप्टन अमोल कालिया, जिनसे हुए थे उमेश गौतम प्रेरित

कैप्टन अमोल कालिया भारतीय सेना की 12 जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंट्री में तैनात थे। कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने अपने अदमय साहय का परिचय देते हुए दुश्मनों को धूल चलाई थी। युद्ध के दौरान जब उनकी टुकड़ी के मशीनगन ऑपरेटर सैनिक शहीद हो गया तो इस पर उन्होंने अपने कंधो पर मशीनगन को उठा कर चारों तरफ घुमा दिया। इससे दुश्मनों के कई सैनिक ढेर हो गए। उनके साहस के चर्चे पूरे भारत में हैं।

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