गणित के बहुत ही शानदार विषय होता है। हालांकि, कुछ को कम समझ आता है और कुछ को अधिक। सब मानसिक क्षमता का खेल है।
वैसे तो ये सब सब बातें बड़े लेवल के गणित पर काम करती हैं।
लेकिन अगर किसी का 50 60 रूपए वाला भी गणित गलत हो तो उसके गणित को गड़बड़ नहीं बल्कि गोल कहा जाएगा। जी हां, वही आर्यभट्ट वाला गोल।
अब यही गोल हिमाचल कांग्रेस के नेताओं के सिर में जा घुसा है। अगर नहीं घुसा है तो आप ही बताइए जरा कि 68 सदस्यों वाली हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 43 सदस्य हैं, दो निर्दलीय विधायक थे वो भी बीजेपी के हो लिए हैं। वहीं कांगेस के पास मात्र 22 विधायक हैं और उनका साथ देते हैं एक सीपीआइएम के सदस्य।
अब अगर कक्षा 2 के बच्चे से भी पूछा जाए कि 45 अधिक या 23 तो वो भी सही-सही उत्तर दे देगा और आप समझ जाएंगे कि बीजेपी की मौजूदा सरकार बहुमत में है
आज ही की बात ले लीजिए कांग्रेस के माननीय लोग मानसून सत्र के पहले ही दिन सदन में अविश्वास प्रस्ताव ले आए और प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने भी उसे स्वीकार कर लिया।
अब यह तो हर कोई समझ सकता है कि यह अविश्वास प्रस्ताव किसी काम का नहीं है, लेकिन हिमाचल कांग्रेस का गणित तो आर्यभट्ट वाला ठहरा। शून्य से शुरू और शून्य पर ख़त्म :
अब बात तो साफ़ है कि इससे होना जाना कुछ नहीं। बस सदन का वक्त बर्बाद किया जाएगा।
जिस वक्त का उपयोग जनता के हित में नीतियां बनाने और अन्य कामों के लिए किया जाना था। वह वक्त अब जुबानी बयानबाजी कर के बर्बाद किया जाएगा। आपका इस बारे में क्या सोचना है हमें कमेन्ट कर जरूर बताएं।
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