शिमला। हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव सिर पर हैं, ऐसे में सूबे का राजनीतिक पारा काफी बढ़ गया है। बता दें कि पंचायतीराज प्रणाली में मतदाताओं को पांच बार वोट डालना होता है। ऐसे में मतदाता किसी तरह से कंफ्यूजन न हो, इस वजह से राज्य चुनाव आयोग द्वारा मतपत्रों के रंग तय किए जाते हैं। हर बार की तरह इस बार भी ऐसा ही हुआ है।
चुनाव आयोग ने ट्राइबल इलाकों के मतपत्रों के अलग-अलग रंग तय किए हैं, जबकि शेष जिलों के अलग रंग होंगे। लाहुल-स्पीति, किन्नौर व चंबा के पांगी व भरमौर में वार्ड सदस्य का मतपत्र हल्के नीले रंग का होगा। जबकि उप प्रधान का मतपत्र सफेद रंग का होगा। वहीं, पीला, हल्का हरा व गुलाबी रंग प्रधान, बीडीसी सदस्य व जिला परिषद सदस्य के निर्वाचन का फैसला करेगा।
वहीं, अगर गैर जनजातीय जिलों की बात करें तो यहां वार्ड सदस्य के चुनाव के लिए सफेद रंग का मतपत्र का प्रयोग होगा। जबकि, उप प्रधान पद का फैसला पीले रंग का मतपत्र करेगा। इसी तरह प्रधान पद के लिए हल्के हरे रंग का बैलेट तय किया गया है। वहीं, बीडीसी व जिला परिषद के लिए गुलाबी व हल्के नीले रंग का मतपत्र इस्तेमाल किया गया है। लिहाजा, मतदाताओं को वोट डालने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना होगा कि किस रंग का मतपत्र किस पद के लिए है।
वहीं, इस बार के पंचायत चुनावों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने मतपत्र पर नोटा का विकल्प भी उपलब्ध करवाएगा। मतदाताओं को नोट का विकल्प अंतिम कोष्ठक में मिलेगा। मतदाताओं को ये विकल्प एक मुहर के रूप में दिया जाएगा। लिहाजा, मतपत्र प्राप्त करने के बाद उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ‘उपरोक्त में से कोई भी नहीं’ की मुहर लगी हो। वहीं, अगर गलती से मतपत्र पर मुहर न लगी हो तो ऐसा मतपत्र जारी नहीं किया जा सकता। ऐसे मतपत्रों को रद्द मानकर एक लिफाफे में मुहर बंद करने का प्रावधान किया गया है। जिस पर रद्द मतपत्र अंकित किया जाएगा।
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