अकाल: हिमाचल प्रदेश में इस साल गहरा सकता है पानी का संकट, जानिए क्या है वजह

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अकाल: हिमाचल प्रदेश में इस साल गहरा सकता है पानी का संकट, जानिए क्या है वजह

शिमला। हिमाचल प्रदेश को इस बार गर्मियों में पानी भारी किल्लत से जूझना पड़ सकता है। राज्य के जल मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने इस सप्ताह विधान सभा में इस संबंध में बार-बार चेतावनी दी हैं। दरअसल, हिमाचल में कई पानी की योजनाएं बंद होने के कगार पर पहुंच पहुंचने वाली हैं, जिसकी वजह से पीने के पानी का संकट गहरा सकता है। प्रदेश में इस बार सर्दियों में हिमपात और बारिश कम हुई है। सर्दियों के बाद ग्लेशियरों से पिघला हुआ पानी नियमित रूप से भूजल के साथ-साथ अन्य जल स्रोतों जैसे झरनों, कुओं, बावड़ियों, झीलों, नालों और नदियों आदि में आ जाता है, लेकिन इस साल बर्फबारी कम होने से जल स्रोत सूखने लगे हैं।

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भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, राज्य में इस सर्दी (1 जनवरी से 28 फरवरी) तक केवल 59 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 69 फीसदी कम थी। आम तौर पर दशकों से राज्य में बढ़ती आबादी के कारण पानी की मांग बढ़ रही है, अब लोग पारंपरिक स्रोतों जैसे झरनों और बावड़ियों के बजाय पाइप जलापूर्ति योजनाओं पर अधिक भरोसा कर रहे हैं।

विधायकों ने विधानसभा में उठाया मुद्दा

बारिश का पैटर्न भी अनिश्चित हो गया है। इस वजह से ड्राई पीरियड के दौरान पानी के स्रोत कुछ क्षेत्रों में जल्दी सूख जाते हैं। खासकर शिवालिक पहाड़ियों में जहां मिट्टी की जल धारण क्षमता कम होती है। इस सप्ताह विधानसभा में रोहरू विधायक मोहन लाल ब्राक्टा ने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में ऐसे गांव हैं जो अक्सर हफ्तों तक पानी की आपूर्ति के बिना रहते हैं। विधायक आशा कुमारी ने कहा कि डलहौजी और बानीखेत जैसे क्षेत्रों में सामान्य समय के दौरान भी पानी की कमी होती है, लेकिन इस साल सूखे जैसी स्थिति शुरू हो गई है और यह आने वाले महीनों के दौरान देखा जाएगा।

शिमला में पानी की स्थिति पर हुआ सुधार

हिमाचल में 2018 में बर्फबारी हुई थी। उस समय भी प्रदेश की राजधानी शिमला में गर्मियों के दौरान पीने के पानी की किल्लत ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। तब से शिमला में स्थिति बेहतर है क्योंकि गुम्मा स्ट्रीम से जल आपूर्ति स्रोत को शहर में 10 मिलियन लीटर दैनिक पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इस साल पानी की समस्या आने वाले गर्मियों के महीनों में स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन जल मंत्री ने दावा किया कि हिमाचल में इससे पहले कभी भी सूखा नहीं पड़ा है। मंत्री ने टिप्पणी की, “ब्यास नदी के कुछ हिस्से हैं जो अब केवल पैदल चलकर पार किए जा सकते हैं।” दरअसल, उनका इशारा पानी के गिरते स्तर की ओर था।

‘टैंकरों के जरिए पानी की गांवों में होगी सप्लाई’

मंत्री ने कहा कि पानी की कमी को देखते हुए पिछले साल हैंड-पंप और बोरवेल लगाना रोक दिया था, लेकिन जहां भी आवश्यक होगा उसे फिर से शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में वाटर हार्वेस्टिंग टैंक बनाए जाएंगे। साथ ही उन्होंने सभी विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में बारिश के पानी को एकत्रित करने के लिए संरचनाओं का निर्माण शुरू करने के लिए कहा। मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में बस्तियां सड़क मार्ग से नहीं जुड़ी हैं, लेकिन जो गांव सड़कों से जुड़े हुए हैं उनमें पानी के टैंकर्स उपलब्ध करवाए जाएंगे।

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