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ताजा मामला प्रदेश की राजधानी शिमला से सामने आया है, जहां स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में कोरोना पीड़ित मरीजों को बड़ी अव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है। मौजूद वक्त में शहर के बीचों-बीच स्थित इस अस्पताल की हालत ये है कि यहां पर जो कोविड सेंटर बनाया गया है, यहां पर 115 की बेड कैपेस्टी है और मरीज 121 हैं।
कॉरिडोर में लगाने पड़ रहे हैं बिस्तर
अस्पताल प्रशासन की मानें तो, 121 मरीज को देखने के लिए सुबह के वक्त केवल 3 डॉक्टर थे। वहीं, दोपहर की शिफ्ट में 2 और रात की शिफ्ट में 2 डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद होते हैं। वहीं, अस्पताल की स्थिति ये है कि हर रोज नए मरीज आ रहे हैं। कॉरिडोर में भी बिस्तर लगाने पड़ रहे हैं।
एक तरफ जहां इस कठिन घड़ी में डॉक्टर भगवान की तरह हैं और सिस्टम किस तरह से भगवान से काम ले रहे हैं। वहीं, 10-10 दिन के लिए डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जाती है।
10 दिन ड्यूटी के बाद 7 दिन के लिए क्वारंटीन होते हैं डॉक्टर फिर ड्यूटी
10 दिन के बाद ये डॉक्टर 7 दिन के लिए क्वारंटीन हो जाते हैं और फिर दोबारा ड्यूटी पर आते हैं। डॉक्टर यहां पर ड्यूटी करने के बाद सीधे अपने घर जाते हैं। इस हालात में डॉक्टर के साथ-साथ उसके परिवार वालों को भी संक्रमण का खतरा है।
बीते साल सरकार ने डॉक्टरों के ठहरने की अलग से व्यवस्था की थी। कई बार डॉक्टरों को 10 घंटे से ज्यादा काम करना पड़ता है, यहां ड्यूटी पर तैनात पैरामेडिकल स्टाफ की हालत भी यही है।
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मिली जानकारी के मुताबिक़, इस अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट भी शुरू नहीं हो पाया है। यहां के लिए मंडी से ऑक्सीजन लाई जा रही है। हर रोज ऑक्सीजन लाने के लिए 2 गाड़ियां भेजी जा रही हैं।
मंडी में हालत ये बताई जा रही है कि वहां भी ऑक्सीजन भरवाने के लिए लाइनें लगी हुई हैं। बुधवार को ऑक्सीजन लेने गई गाड़ी गुरुवार शाम तक भी नहीं पहुंची थी। शुक्र मनाइए कि अभी ऑक्सीजन को लेकर मारामारी नहीं है, अगर जरूरत बढ़ी तो क्या होगा।
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हालात ये है कि यहां जिन मरीजों की हालत ज्यादा खराब हो जाती है तो उन्हें आईजीएमसी रेफर करना पड़ता है। वहां भी लाइनें लगी हुई हैं। इस अव्यवस्था पर अस्पताल प्रशासन चुप्पी साधे हुए है, स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी फोन नहीं उठाते और मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ये कह रहे हैं कि जहां कमी है, उसको पूरा किया जा रहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल की स्थिति अच्छी है।
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