शिमला: एक के बाद एक आ रही महामारी का इलाज भी काफी महंगा हो गया है। ताजा मामला आईजीएमसी, शिमला का है। जहां ब्लैक फंगस से पीड़ित एक महिला, जोकि हिमाचल का ब्लैक फंगस का पहला मामला था। महिला के पति ने सोशल मीडिया के माध्यम से कही है कि ब्लैक फंगस के इलाज में 21 लाख का खर्चा आ रहा है। इतना पैसा उनके पास नहीं है, सरकार मदद करे।
CM जयराम ठाकुर और स्वास्थ्य मंत्री से मदद की गुहार:
मिली जानकारी के अनुसार हमीरपुर जिला निवासी आर्मी से सेवानिवृत सैनिक रतन चंद ठाकुर की पत्नी 4 मई को कोरोना पॉजीटिव पाई गईं थी। प्रारंभिक उपचार हमीरपुर अस्पताल में हुआ फिर नेरचैक रेफर हुईं और वहां स्थिति में सुधार नहीं होने के बाद शिमला लाया गया।
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19 मई को आईजीएमसी में महिला में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए गए। यह हिमाचल प्रदेश में ब्लैक फंगस का पहला मामला था। ब्लैक फंगस के इलाज में आ रही भारी खर्चे की वजह से रतन ठाकुर ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और स्वास्थ मंत्री राजीव सहजल से मांग की है कि इलाज में उनकी मदद की जाए।
एक ही दिन में लगेंगे 36 हजार रुपए इंजेक्शन:
बता दें कि महिला की मुंह और नाक की सर्जरी हो चुकी है तथा एक आंख की सर्जरी तीन जून यानी गुरुवार को हुई। अब जो इंजेक्शन चिकित्सकों ने बताया है उसकी कीमत बाजार में तीन हजार है तथा दिन में ऐसे 12 इजेंक्शन लगेंगे, यानी एक दिन में 36 हजार रुपए के इंजेक्शन लगेंगे।
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चिकित्सकों का यह भी कहना है कि यह इजेंक्शन इसी रूटीन में दो महीने तक लगेंगे। ऐसे में दो महीने में सिर्फ इंजेक्शन का ही खर्चा 21 लाख 60 हजार के करीब है।
बेटे ने सीएम को किया था टैग:
पीड़ित महिला का मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं। इलाज के लिए इतने पैसे जुटाना असंभव है। बेटे सुमित का कहना है कि सरकार की ओर से इलाज के खर्च के लिए मदद की जाए, हम यह खर्च कहां से वहन करेंगे।
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उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सीएम जयराम ठाकुर को ट्वीट कर टैग भी किया था, लेकिन अभी तक कोई रिप्लाई नहीं आया। अभी तो जो इलाज चल रहा है वो पाउडर के रूप में दिया जा रहा है। इंजेक्शन की जरूरत है, इंजेक्शन मंगवाने होंगे। प्राइवेट में भी इंजेक्शन नहीं मिल रहा है।
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