शिमला/नई दिल्ली: हिमाचल से बैठकर किसी ने रूस से संपर्क साधा और कोविड वैक्सीन बनाने बुनियादी ढांचे का पता लगा लिया। लेकिन केंद्र सरकार ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पाई। ये बयान है दिल्ली हाई कोर्ट का, जस्टिस मनमोहन और जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने दूसरी लहर के दौरान हुई गलतियों पर केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई।
सोलन की कंपनी ने रूस से किया था डायरेक्ट डील:
बता दें कि सोलन जिले के बद्दी क्षेत्र की कंपनी पनेशिया का रूस से वैक्सीन बनाने के संबंध में करार हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा भी किया गया था कि दिसंबर, 2020 से उक्त कंपनी रूस के स्पूतनिक टीके का उत्पादन शुरू करेगी। लेकिन किन्हीं अज्ञात कारणों की वजह से वह उत्पादन शुरू नहीं हो सका।
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हालांकि, सूत्रों का यह भी कहना है कि सोलन की इस कंपनी ने रूसी कंपनी से सीधा संपर्क साधा था। केंद्र सरकार की इस में कोई भूमिका नहीं थी। बाद में कागजों पर डील होने के दौरान कुछ कानूनी पेंच फंसा और केंद्र सरकार से अपेक्षाकृत सहयोग नहीं मिला।
Sputnik V के निर्माण के मुद्दे पर चल रहा था विचार-विमर्श:
यह प्रकरण आए गई हो गई थी लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के जिक्र के बाद मामला फिर से चर्चा में आ गया है। बता दें कि उच्च न्यायालय रूस के प्रत्यक्ष निवेश कोष (RDIF) के सहयोग से भारत के पैनेशिया बायोटेक (Panacea Biotec) द्वारा COVID-19 वैक्सीन Sputnik V के निर्माण से संबंधित मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा था।
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हालांकि, यह चर्चा पिछले साल जुलाई-अगस्त से ही चल रही है। लेकिन किसी ठोस परिणाम पर नहीं पहुंच पाया था। अब पहले केंद्र सरकार और फिर कोर्ट ने मामले में दखल देकर जल्द से जल्द प्रोडक्शन शुरू करने के लिए प्रयास कर रही है।
इसी चर्चा के दौरान हाई कोर्ट ने अप्रत्यक्ष रूप से कंपनी के पहले के डायरेक्ट डील का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई। केंद्र सरकार का कहना है कि पूरी आबादी का टीकाकरण करना ही इस महामारी से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन वैक्सीन की कमी टीकाकरण अभियान को प्रभावित कर रही है।
बेंच ने मध्यस्थ पुरस्कार जारी करने का दिया निर्देश:
जस्टिस मनमोहन और जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने कहा, 'दूसरी लहर के दौरान जिस तरह से चीजें हुई हैं, उससे आज हम थोड़ा दुखी हैं। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते आपको भी दुख होगा। वैक्सीन की कमी हर किसी को प्रभावित कर रही है। यहां तक कि आज दिल्ली में भी टीका उपलब्ध नहीं है। आपके पास भारत में अच्छे उत्पादक हैं, थोड़ी सा हाथ पकड़ने से काम चलेगा।' बेंच ने आगे कहा कि रूस से किसी ने हिमाचल प्रदेश में इन्फ्रास्ट्रक्चर खोज लिया लेकिन केंद्र ऐसा करने में नाकाम रहा।
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बात दें कि हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को भारत में स्पूतनिक वी वैक्सीन के निर्माण के लिए पैनेशिया बायोटेक को 2012 से ब्याज सहित 14 करोड़ रुपये से अधिक का मध्यस्थ पुरस्कार जारी करने का निर्देश दिया है, बशर्ते कि कंपनी वैक्सीन के निर्माण के लिए सरकार से अनुमति प्राप्त करे।
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जस्टिस मनमोहन और नाजमी वजीरी की बेंच ने यह राशि जारी करने के निर्देश दिए हैं। पीठ ने कहा कि मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा कंपनी को दी गई राशि की रिहाई भी फर्म के इस वचन के अधीन होगी कि स्पूतनिक वी की बिक्री की आय का 20 प्रतिशत उसके पास जमा किया जाएगा।
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