शिमला/मुंबई: देशभर में दवाई का गोरखधंधा कहीं भी हो हिमाचल में का नाम आ ही जाता है। ताजा मामले में सोलन के फर्जी पते का इस्तेमाल कर महाराष्ट्र मेंनकली दवाई का खेल चल रहा था। मिली जानकारी के अनुसार कोरोना मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल में आने वाली फेविमैक्स की नकली दवाई उस्मानाबाद जिले में मिली है।
ऐसे फूटा पूरे खेल का भांडा:
जानकारी के मुताबिक, मुंबई के मुख्य वितरक शिवसृष्टि सर्गेमेड, मेडिटेब वर्ल्डवाइल्ड और नीरव ट्रेडिंग से इन नकली दवाइयों का स्टॉक मिला। उस्मानाबाद जिले के उमरगा और उस्मानाबाद तालुकों में नकली गोलियां बेची गई थीं।
कंपनी के डिटेल्स में था हिमाचल का पता:
FDA के मुताबिक, यहां पर कपड़े धोने के लिए इस्तेमाल होने वाले स्टॉर्च का इस्तेमाल इन गोलियों के निर्माण में किया गया। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि ऐसी दवाई बनाने वाली कोई कंपनी अस्तित्व में ही नहीं है। कोरोना मरीजों के इस्तेमाल में आने वाली इस गोली को बनाने के लिए एक निश्चित सामग्री की जरूरत होती है, लेकिन इन्हें बनाने के लिए कपड़े धोने के स्टॉर्च का इस्तेमाल हो रहा था।
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जो नकली दवाई बनाई जा रही थीं, उनपर लिखाया गया था कि ऐसी टैबलेट बनाने वाली कंपनी मैक्स रिलीफ हेल्थकेयर हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित है। हालांकि, छानबीन के बाद पता चला है कि ऐसी कोई कंपनी उस पते पर मौजूद नहीं थी।
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अब फेविमैक्स टैबलेट को उस्मानाबाद जिले में बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। श्रीनाथ इंटरप्राइजेज से उमरगा में 300 और उस्मानाबाद में 220 स्ट्रिप्स जब्त की गई हैं। जिनका मूल्य की 65,000 रुपये है। FDA के मुताबिक, इसमें दुकानदारों की गलती नहीं है क्योंकि उन्हें सप्लाई ही नकली मिल रही थी।
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