शिमला: राजधानी शिमला के ठियोग में 3.70 करोड़ रुपये की लागत से पांच मंजिला छात्रावास बनाया गया. 27 कमरों वाले इस छात्रावास को 105 विद्यार्थियों के लिए बनाया गया था. कभी इस्तेमाल में नहीं लाया गया और अब प्रशासन इस भवन को गिराने की तैयारी कर रही है. इस भवन को बनाने का कार्य वर्ष 2012 में शुरू हुआ था और 6 साल बाद साल 2018 में बनकर तैयार हुआ था.
बनने के दो साल बाद ही घोषित हुआ असुरक्षित:
मिली जानकारी के अनुसार यह छात्रावास राजकीय महाविद्यालय ठियोग के परिसर में ही बना है. हिमुडा के अधिकारियों की देखरेख में निजी ठेकेदार गिरीश गुप्ता द्वारा बनाया गया था. अब इस भवन की गुणवत्ता पर सवालिया निशान उठने शुरू हो गए हैं। भवन बनने के दो साल के बाद ही असुरक्षित घोषित कर दिया गया है।
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हालांकि, ठेकेदार का कहना है कि कालेज प्रशासन की सुपुर्दगी के समय भवन सही हालत में था। फरवरी 2019 से ही दरारें पड़नी शुरू हो गई थीं। भवन की छत से हमेशा पानी टपकने के कारण इसकी अधिकतर दीवारों में सीलन रहती थी। पांच मंजिला भवन के डंगे में आई दरार और दीवारों से प्लास्टर झड़ने की लिखित शिकायत कालेज प्रशासन ने हिमुडा के अधिकारियों को 2019 में की थी।
आसपास के लोग कर रहे जल्दी गिराने की मांग:
उस समय विभाग के अधिकारी संदीप सेन ने कालेज प्रशासन द्वारा की गई शिकायत की बात भी स्वीकारी थी। विभाग द्वारा ठेकेदार को भवन की मरम्मत के आदेश दिए थे. लेकिन ठेकेदार द्वारा लीपापोती करने के कारण आज यह भवन गिरने की कगार पर खड़ा है।
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छात्रावास के आसपास के भवन मालिक हिमुडा अधिकारियों पर भवन के असुरक्षित घोषित करने की सूचना का बोर्ड चोरी छिपे लगाने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने सरकार से इस भवन को बरसात से पहले गिराने की मांग की है ताकि उनके जीवन भर की कमाई से बनाए घरों को क्षति होने से बचाया जा सके।
हिमुडा के अधिकारी सवालों के घेरे में:
वर्ष 2012 में शुरू हुए भवन निर्माण कार्य से काम पूरा होने तक हिमुडा के कई अधिकारियों की देखरेख में काम हुआ है। ये सभी अधिकारी ठेकेदार द्वारा किए जा रहे काम पर किस तरह नजर बनाए हुए थे इस पर भी प्रश्नचिह्न है। आइआइटी मंडी की रिपोर्ट में भवन के डिजाइन और कंक्रीट की गुणवत्ता के साथ कई अन्य कमियां रिपोर्ट में बताई गई हैं।
उच्च स्तरीय जांच की मांग:
स्वयंसेवी संस्था आस्था फाउंडेशन के उपाध्यक्ष सुशील शर्मा व एबीवीपी की ठियोग इकाई ने हिमुडा और ठेकेदार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। उन्होंने भवन निर्माण में हुए भ्रष्टाचार में ठेकेदार और हिमुडा के अधिकारियों की मिलीभगत की उच्चस्तरीय जांच करने की मांग की है। छात्रावास के आधे भवन को गिराने के आदेश दे दिए गए हैं।
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ठेकेदार गिरीश गुप्ता द्वारा बनाए गए भवन निर्माण की विभागीय जांच की जा रही है। आइआइटी मंडी की रिपोर्ट के अनुसार भवन निर्माण में कई प्रकार के दोष सामने आए हैं। भवन निर्माण के समय मिट्टी की जांच व अन्य सावधानियां बरती गई थीं। भवन निर्माण का कार्य विभिन्न अधिकारियों के कार्यकाल में हुआ था जिसकी जांच की जाएगी।
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