शिमलाः हिमाचल प्रदेश के पुलिस कर्मी अन्य सरकारी कर्मियों की तरह ही अपने वेतनमान के कांट्रक्ट पीरियड को कम कर दो साल करने की मांग कर रहे हैं।
इसको लेकर बीते कल वित्त विभाग की ओर से बैठक बुलाई जानी थी। परंतु कुछ कारणों की वजह से बैठक नहीं हो पाई जिस वजह से पुलिस कर्मियों में नाराजगी का दौर शुरु हो गया है। हालांकि, कयास लगाए जा रहे हैं कि कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री कोई निर्णय ले सकते हैं।
वित्त विभाग को नहीं मिला डिमांड:
मिली जानकारी के मुताबिक वित्त विभाग को अभी तक पुलिस कर्मियों का डिमांड चार्टर नहीं मिला है। जिसके आधार पर बैठक बुलाई जानी थी। हालांकि, सीएम जयराम द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के आधार पर विभाग ने सभी पहलुओं की जांच करना शुरु कर दिया है।
वहीं, बताया जा रहा है कि जब कर्मियों का मांग पत्र विभाग को मिल जाएगा तो विभागीय अधिकारियों द्वारा पुलिस जवानों के दो-तीन प्रतिनिधियों को बुलाकर उस पर चर्चा की जाएगी।
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बता दें कि जेसीसी की बैठक में बाकी सरकारी कर्मियो की तरह ही पुलिस कर्मियों के वेतनमान पीरियड को कम करने को लेकर सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा गया था। जिस पर सरकार ने जबाव देते हुए कहा था कि पुलिस कर्मियों की भर्ती तो पहले दिन से ही नियमित तौर पर होती है। इसके बाद इस मुद्दे को यहीं पर समाप्त कर दिया गया था।
CM आवास पहुंचे थे पुलिस कर्मी:
ऐसे में सोचने वाली बात है कि क्या सरकार के कर्मचारियों की ओर से ही गलत विषय लाया गया या फिर जेसीसी ने ही गलत प्रस्ताव रखा जिस पर सरकार कोई निर्णय नहीं कर पाई। इसके बाद सभी पुलिस कर्मी अपनी मांगें मंगवाने के लिए बीते रविवार को राजधानी शिमला स्थित मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के निवास ओक ओवर जा पहुंचे।
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यह हिमाचल के इतिहास में पहली बार था जब सैंकड़ों की संख्या में पुलिस कर्मी इस तरह से बगावत पर उतरे हैं। पुलिस कर्मियों द्वारा किए गए इस कृत्य पर सब आला अधिकारियों ने चुप्पी साधी हुई है। हालांकि, इस मसले पर सीएम जयराम ने पुलिस कर्मियों को आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों पर उचित कदम उठाया जाएगा।
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