शिमला: उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार चौतरफा घिर गई है। सरकार और पार्टी दोनों पर अगले साल होने वाली विधानसभा चुनाव में सरकार रिपात करने का दवाब है। ऐसे में सभी विभागों के कर्मी भी सरकार पर अपनी मांगो को मनवाने के लिए दवाब बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
भारतीय मजदूर संघ वालों की पुलिस से धक्कामुक्की:
कर्मचारियों की संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक के तीसरे दिन भी हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सरकार के खिलाफ कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन जारी है। पुलिस कर्मियों के साथ धक्कामुक्की में विभिन्न संगठनों के कर्मियों के घायल होने की भी खबर है।
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मुख्यमंत्री के सामने इस मसले का हल करना भी अति आवश्यक हो गया है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दे दिया था। लेकिन कार्रवाई नहीं होने से कर्मियों में घोर निराशा है। कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री के सामने इस समस्या का हल करना बड़ी चुनौती होगी।
HRTC कर्मी हड़ताल पर:
हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) में तैनात करीब एक हजार पीसमील वर्करों का अनिश्चितकालीन टूल डाउन हड़ताल आज दूसरे दिन भी जारी है। कर्मचारियों ने शिमला समेत प्रदेश भर में स्थित एचआरटीसी वर्कशॉप में गेट बंद कर प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे हैं। जिस कारण वर्कशॉप में कामकाज ठप है।
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कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार ने उन्हें नियमित करने के लिए परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वयक समिति के साथ हुई बैठक में आश्वस्त किया था। कहा गया था कि इस संबंध में 25 नवंबर तक नीति बना दी जाएगी।
लेकिन सरकार 28 नवंबर तक नीति नहीं बना सकी। परिवहन मंत्रालय और मंत्री से लगातार मिल रहे आश्वासन पर कार्रवाई नहीं होने से कर्मियों में घोर निराशा है।
जेबीटी और डीएलएड वाले भी सड़क पर:
जेबीटी और डीएलएड प्रशिक्षु संघ के लोग भी आज अपनी मांगों को लेकर राजधानी शिमला की सड़कों पर हैं। योजना राज्य सचिवालय के बाहर प्रदर्शन करने की थी, लेकिन पुलिस उन्हें टॉलैंड से आगे नहीं जाने दे रही है।
बड़ी संख्या में प्रशिक्षु टॉलैंड में ही धरने पर बैठ गए हैं। इससे छोटा शिमला, खलीनी-बीसीएस और पुराना बस स्टैंड के लिए यातायात भी बाधित हो रहा है। प्रशिक्षुओं के प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर तैनात किया गया है।
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बता दें कि बीएड डिग्री धारकों को जेबीटी भर्ती के लिए पात्र बनाने का हाईकोर्ट की ओर से फैसला आने के बाद से जेबीटी प्रशिक्षु आक्रोशित हैं। सरकार से मांग कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में उनका केस लड़ा जाए। प्रशिक्षुओं का कहना है कि भर्ती में बीएड वालों के आने से उनका नंबर ही नहीं आएगा। अपने हक के लिए वह न्यायिक लड़ाई लड़ेंगे।
पुलिस कर्मी भी बगावत पर:
पुलिस कर्मियों को उम्मीद थी कि अनुबंध कर्मचारियों को नियमित करने की अवधि तीन से दो साल करने के ऐलान के साथ ही उनके पे बैंड की अवधि भी कम होगी। ऐसा हुआ नहीं और पुलिस कर्मियों ने सीएम आवास को पुलिस छावनी में बदल दिया।
रविवार को पुलिस कर्मियों के ऐतिहासिक बगावत के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बाहर निकले और कांस्टेबलों को आश्वासन दिया कि सोमवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त उनकी मांग को लेकर कोई समाधान निकालेंगे। इसके बाद कांस्टेबल लौट गए। लेकिन सोमवार को भी कुछ नहीं हुआ और अब आस कैबिनेट की बैठक पर है।
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