शिमला। हिमाचल प्रदेश में हर वर्ग के कर्मचारी आंदोलनरत है, मांगें मनवाने के लिए हर स्तर पर धरने, प्रदर्शन, विरोध करने में जुटे हैं। ऐसे में इस चुनावी साल में सरकार कर्मचारियों की नाराजगी दूर करने के लिए तुरूप का कार्ड खेल सकती है और अंतिम बजट में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का ऐलान कर सकती है।
बजट तैयार कर रहे वित्त विभाग के अधिकारियों ने इस संबंध में चर्चा की है। चार मार्च को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से पेश किए जाने वाले अंतिम बजट में सरकार पेंशन बहाली का बड़ा निर्णय ले सकती है। यदि ऐसा होता है तो वर्ष 2003 से लेकर सरकारी नौकरियों में आए डेढ़ लाख कर्मचारियों को पेंशन सुविधा का लाभ होगा। सेवानिवृत्त होने पर प्रत्येक कर्मचारी को पेंशन का भुगतान करने के लिए गणना होगी। फिलहाल सरकार पर पेंशन घोषित करने से किसी प्रकार का कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा।
हिमाचल प्रदेश में अभी न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी एसोसिएशन के बैनर तले हजारों कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्मचारियों ने तीन मार्च को शिमला विधानसभा के घेराव की रणनीति बनाई है। इसके लिए मंडी से पदयात्रा शुरू की गई है, जो शिमला की ओर रवाना हो रही है। यदि सरकार ने ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम की घोषणा नहीं की तो तीन मार्च को शिमला में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
अभी 7500 करोड़ पेंशन पर खर्च हो रहे
वर्तमान में सेवानिवृत कर्मचारियों को पेंशन का भुगतान करने के लिए वार्षिक साढ़े सात हजार करोड़ रुपए खर्च होते हैं। यदि सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल की तो 2030 में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन चुकाने की चिंता करनी पड़ेगी। आने वाले वर्षों में पेंशन पर होने वाला खर्च 25 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
सत्ता में आते ही पुरानी पेंशन बहाल होगी
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान ऐलान किया है कि कांग्रेस के सत्ता में आते ही सबसे पहले कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाएगी। उनका कहना है कि एक कर्मचारी पूरा जीवन सरकारी नौकरी में लगा चुका होता है। बुढ़ापे में केवल पेंशन ही उसका सहारा होती है।
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