हिमाचल कल से थम जाएंगे एम्बुलेंस के पहिये, HRTC वाले भी नहीं माने

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हिमाचल कल से थम जाएंगे एम्बुलेंस के पहिये, HRTC वाले भी नहीं माने


शिमलाः
हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों में तैनात कर्मी अपनी मांगो को लेकर कई बार सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। ऐसे में एक बार फिर शासन व प्रशासन द्वारा अनदेखी किए जाने पर आपातकालीन सेवा 108 एंबुलेंस कर्मियों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।

इसके अलावा एचआरटीसी प्रबंधन निदेशक संग वार्ता में कोई निष्कर्ष ना निकलने पर ड्राइवर यूनियन ने भी आगामी 30 मई को हड़ताल करने का ऐलान किया है। कर्मियों का कहना है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुई, तो वह हड़ताल पर चले जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश में 343 एंबुलेंस तथा 4 हजार सरकारी बसों के पहिए थम जाएंगे। इससे जनता को काफी दिक्कतें हो सकती हैं।

एचआरटीसी प्रबंधन निदेशक संग वार्ता रही विफल

बीते कल एचआरटीसी प्रबंधन निदेशक ने ड्राइवर यूनियक को वार्ता के लिए बुलाया था। इस बैठक के दौरान प्रबंधन ने यूनियन की सभी मांगों को मानने से मना कर दिया। इसके उपरांत ड्राइवर यूनियन ने आगामी 30 मई को हड़ताल करने का निर्णय लिया है। जबकि, एंबुलेंस कर्मी कल बुधवार यानी 25 मई को शाम 8 बजे से हड़ताल पर चले जाएंगे। ऐसे में कल रात से प्रदेश में एंबुलेंस के पहिए थम जाएंगे।

कर्मियों ने लगाए ये आरोप-

  • कर्मियों का आरोप है कि उन्हें पुरानी जीवीके कंपनी द्वारा वेतन व भत्ता अभी तक नहीं दिया गया है।
  • 2015 से कर्मचारियों को मिलने वाले एरियर की अदायगी अभी तक शेष है।
  • आरोप है कि नई कंपनी कर्मचारियों का शोषण कर रही है।
  • उन्होंने पुरानी कंपनी के अधिकारियों को ही नौकरी पर रखा है, जबकि कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया।
  • पुरानी कंपनी में सेवाएं दे रहे करीब 150 लोगों को अभी तक नौकरी पर नहीं रखा गया है, और नए कर्मचारियों को नियुक्ति दी गई है।
  • कर्मियों को ऑफर लेटर देकर नौकरी पर रखा गया है, उन्हें ज्वाइनिंग लेटर नहीं दिए गए हैं।
  • नई कंपनी लेबर कानून को लागू नहीं कर रही है।
  • न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपए प्रतिमाह होना चाहिए, परंतु कंपनी द्वारा अधिकतर कर्मियों को इससे कम वेतन प्रदान किया जा रहा है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए यूनियन प्रधान पूर्ण चंद ने कहा कि बीते दिन प्रत्येक जिला में उपायुक्त को ज्ञापन के माध्यम से हड़ताल के बारे में अवगत करवाया जा चुका है, परंतु अभी तक किसी से कोई जवाब नहीं आया है और न ही कर्मचारियों की समस्या को हल करने के लिए किसी ने बात की है। ऐसे में उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है।

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