शिमला। हिमाचल प्रदेश में प्री नर्सरी टीचर के लिए एनटीटी की भर्ती पर दिल्ली से जवाब आ गया है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के शिक्षा सचिव द्वारा राज्य सरकार के शिक्षा सचिव को आश्वस्त किया है कि एनटीटी कोर्स की मान्यता को लेकर पूरे देश में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि इन्हीं मुश्किलों के समाधान के लिए एनसीटीई के भर्ती नियमों में आजकल के हिसाब से कुछ बदलाव किया जाएगा और केंद्र सरकार की तरफ से इसे लेकर प्रक्रिया शुरू की जा रही है। ऐसे में हिमाचल समेत अन्य सभी राज्यों को इंतज़ार करना पड़ेगा।
इस तरह के हो सकते हैं बदलाव
गौरतलब है कि इससे पहले राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा दिल्ली से एनटीटी के रिकाग्राइज्ड संस्थानों की लिस्ट मंगाई गई थी। अब इस जवाब के बाद से यह उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र सरकार द्वारा एनसीटीई के 2018 के भर्ती नियमों में बदलाव किया जाएगा।
इसमें दो साल के एनटीटी डिप्लोमा की बात की गई है, जबकि एक साल की अवधि के कोर्स वाले भी राज्य में मौजूद हैं। बहुत से राज्य इन नियमों के कारण उलझे हुए हैं। इनमें रिकॉग्राइज्ड संस्थानों की शर्त लगा रखी है और रिकोग्रिशन तब थी नहीं। कमोवेश यही स्थिति हिमाचल में भी थी।
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूल
गौरतलब है की हिमाचल सरकार ने 4000 से ज्यादा स्कूलों में प्री नर्सरी की कक्षाएं शुरू कर दी हैं। इनमें 700 स्कूल और जोड़े जा रहे हैं। अब तक 55,000 बच्चों का एनरोलमेंट यहां हो चुका है, लेकिन इन्हें संभालने और पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है।
वर्तमान में सरकार ने जेबीटी को ही ये काम दे रखा है, जबकि 2018 से अब तक जेबीटी की भर्ती तक नहीं हुई है। इसलिए शिक्षकों की कमी पहले से ही है। जेबीटी का केस कोर्ट में फंसे होने के कारण परेशानी बढ़ी है। ऐसे में प्री नर्सरी टीचर भर्ती में देरी से और उलझन बढ़ी है। प्री नर्सरी कक्षाएं अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हिस्सा हैं। इसलिए ये राज्य सरकार को चलानी ही होंगी।
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