हिमाचल: यूक्रेन में भाई-बहन का बुरा हाल, खाने की भी तंग, बूंद-बूंद कर बचाना पड़ रहा पानी

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हिमाचल: यूक्रेन में भाई-बहन का बुरा हाल, खाने की भी तंग, बूंद-बूंद कर बचाना पड़ रहा पानी


शिमला।
यूक्रेन में स्थिति खराब हो रही है। वहां फंसे हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के विद्यार्थी भी मुश्किल में हैं। अब तो खाने की दिक्कत भी होने लगी है। पानी की बूंद-बूंद सहेजनी पड़ रहा हैं। पता नहीं कब पानी और खाने का सामान मिलना बंद हो जाए। कुछ विद्यार्थियों तक तो भारतीय एंबेसी भी मदद भी नहीं पहुंच रही है। जिले के 22 छात्र यूक्रेन में फंसे थे। इनमें कुछ वापस आ रहे हैं। 

उप प्रधानाचार्य पिता ने MBBS की पढ़ाई को भेजा था 

झंडूता के मलागण गांव के दो भाई-बहन गीतिका और हिमांशु राणा यूक्रेन के पोलतावा में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। घंढीर स्कूल में उप प्रधानाचार्य उनके पिता राम स्वरूप ने बताया कि वह बच्चों के साथ संपर्क में हैं। पोलतावा रूस की सीमा के पास होने से वहां हालात बिगड़ते जा रहे हैं।

वहां खाने-पीने के सामान की दिक्कत होने लगी है। उनके पास दो से तीन दिन तक के लिए ही पानी बचा है। यूक्रेन से विद्यार्थियों को भारतीय एंबेसी रोमानिया के रास्ते ला रही है। पोलतावा रोमानिया की सीमा से करीब 700 किलोमीटर दूर है। एंबेसी ने बच्चों को हॉस्टल में रहने की हिदायत दी है। 

बिलासपुर के ही नवीन और आशीष शर्मा भी फंसे हैं 

घुमारवीं वार्ड-1 के नवीन शर्मा के बेटे आर्यन शर्मा कीव में फंसे हैं। नवीन ने बताया कि बेटे से शनिवार दोपहर को बात हुई। वह हॉस्टल की बेसमेंट में है। पानी की समस्या आ रही हैं। फोन भी रात को 6 से सुबह 6 बजे तक बंद रखवाए जा रहे है। किसी भी तरह के वीडियो बनाने की मनाही है। 

बाहरी इलाके में वहां की आर्मी ने कब्जा कर रखा है। दधोल गांव के आशीष शर्मा अभी घर नहीं पहुंचे हैं। शुक्रवार को परिजनों की बात हुई थी। इसके बाद उनकी बात उससे नहीं हुई। शनिवार को बेटे के यूक्रेन से निकल कर साथ लगते देश रोमानिया में पहुंचने की खबर मिली है तो उन्हें राहत मिली। विशेष विमान से उन्हें वापिस लाया जा रहा है।

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